उप पद लग्न - वैवाहिक स्थिति का सही आकलन
जन्म कुंडली (Horoscope) में वैवाहिक जीवन और जीवन साथी का सही अध्ययन करने के लिए करने के लिए अमूमन 7th House (सप्तम स्थान) और उसके कारक ग्रह शुक्र (venus) का अध्ययन किया जाता है, इसके साथ ही गुरु (jupiter) का कुंडली में प्रबल होना जीवन में सुख, शांति और समृद्धि के लिए आवश्यक है। महर्षि जैमिनी द्वारा रचित जैमिनी सूत्रम् में वैवाहिक जीवन के अध्ययन के लिए उप पद लग्न को भी विशेष स्थान दिया है। Click to visit my facebook page
उप पद लग्न क्या है इसे समझने के लिए पहले अरुधा समझाना आवश्यक है , कुंडली में उपस्थित सभी भावो के भाव अरुधा , अरुधा वास्तव में किसी भी भाव का छवि (image ) होती है जो उस भाव के प्रतिफल (results) को सही तरह से समझने के लिए प्रतिबिम्ब के रूप में (reflection of results) मदद करती है। सबसे पहले समझे की किसी भी भाव का अरुधा कैसे ज्ञात किया जाता है , जिस भी भाव का अरुधा ज्ञात करना हो वंहा से उसके lord के स्थिति जानिए और फिर उतने ही भाव की और गिनिती कीजिये , वो हुआ उस भाव का अरुधा, जैसे कन्या लग्न में बुध दूसरे भाव में उपस्थित है तो लग्न गिनती प्रारम्भ करे , एक और दूसरे स्थान पर बुध है ठीक ऐसे ही बुध से गिनती शुरू करे पहला स्थान स्वयं बुध और दूसरा अर्थात लग्न से स्थान हुआ लग्न का अरुधा या आरूढ़ लग्न (AL)। Click to read other Blogs
अब अगर किसी भाव का lord चार या दस स्थान आगे है तो वो ही स्थान उस भाव का अरुधा होगा और भाव स्वामी उसी भाव में या सप्तम भाव में उपस्थित है तो वंहा से दशम स्थान उस भाव का अरुधा होगा।
समझने के लिए देखे की अगर मेष लग्न (in picture) में मंगल लग्न या सप्तम में है तो दशम भाव (10th House) अरुधा हुआ , मंगल चतुर्थ या दशम भाव में है तो चतुर्थ भाव अरुधा हुआ। वास्तविक में अरुधा क्या होता है ये जानने के लिए सिर्फ इतना समझे की लग्न (1st House) स्वयं की (self) परिस्थिति के बारे बताता है जबकि उसका अरुधा (AL) बताता है की समाज आपको किस रूप में देखता है। Click to read other Blogs
कुंडली में बारहवा भाव (12th House) खर्च , नुकसान और समर्पण (विवाह भी अपने आप का दूसरे के लिए समर्पण माना गया है ) का भाव है , नींद और विवाह उपरांत प्राप्त होने वाला वैवाहिक सुख (pleasure of bed after marriage) भी उसी से देखा जाता है इसीलिए उसका अरुधा वैवाहिक सुख और जीवन साथी के बारे में सही जानकारी देता है और उसको उप पद लग्न कहा गया है , बारहवें स्थान का अरुधा ज्ञात करने के लिए वही गणना होगी जो लग्न का अरुधा जानने की लिए की, लग्न के लिए गणना पहले स्थान से शुरू हुई थी , UL के लिए 12th house से ।
उप पद लग्न (UL) में बैठे और उस पर दृष्टि दे रहे ग्रह वैवाहिक जीवन और जीवन साथी की परिस्थिति निर्धारित करते है , वंहा बुध (mercury) का होना जीवन साथी को आकर्षक (attractive) , लगभग समान आयु का (same age), वाक पटु (talkative) और बुद्दिमान (intelligent) होना दर्शाता है, वंही चंद्र का होना उम्र से छोटा और राहु का होना अन्य जाती से होना दर्शाता है। वँहा शनि की उपस्थिति से अंदाज लगाया जा सकता है की जीवन साथी सामान्य से अधिक आयु का होगा । Click to visit my facebook page
उप पद लग्न (UL) में बैठे और उस पर दृष्टि दे रहे ग्रह वैवाहिक जीवन और जीवन साथी की परिस्थिति निर्धारित करते है , वंहा बुध (mercury) का होना जीवन साथी को आकर्षक (attractive) , लगभग समान आयु का (same age), वाक पटु (talkative) और बुद्दिमान (intelligent) होना दर्शाता है, वंही चंद्र का होना उम्र से छोटा और राहु का होना अन्य जाती से होना दर्शाता है। वँहा शनि की उपस्थिति से अंदाज लगाया जा सकता है की जीवन साथी सामान्य से अधिक आयु का होगा । Click to visit my facebook page
सप्तम भाव के आरूढ लग्न जिसे A7 कहते है वो किस प्रकार के व्यक्ति की तरफ आकर्षण है उस बारे में बताता है और अगर UL और A7 एक ही भाव में या दोनों के lords एक साथ हो तो ये मन पसंद के व्यक्ति से विवाह का योग बनाता है । जिसे love marriage की परिभाषा दी जा सकती है।
UL में किसी ग्रह का उच्च की राशि में बैठना जीवन साथी का सफल और प्रसिद्ध होना समझा जा सकता है, ठीक वैसे ही वँहा नीच का ग्रह वैवाहिक जीवन को दूषित होने का इशारा करता है। www.pankajupadhyay.com
UL में किसी ग्रह का उच्च की राशि में बैठना जीवन साथी का सफल और प्रसिद्ध होना समझा जा सकता है, ठीक वैसे ही वँहा नीच का ग्रह वैवाहिक जीवन को दूषित होने का इशारा करता है। www.pankajupadhyay.com
UL पर गुरु की उपस्थिति समृद्ध परिवार में अच्छा शिक्षित जीवनसाथी के प्राप्ति का इशारा करती है और गुरु की दृष्टि सुखी और सुमधुर वैवाहिक जीवन प्रदान करती है जबकि शनि और राहु की एकसाथ दृष्टि जीवन साथी पर किसी परेशानी से वैवाहिक जीवन में बाधा का योग बनाती है।Click to visit my facebook page
केतु को एकाकी ग्रह (separative planet) कहा गया है और इसका UL में होना विवाह में देरी या कई बार अविवाहित तक होने का इशारा करता है अगर शुक्र और गुरु भी बहुत कमजोर हो तो।
UL से दूसरा भाव विवाह की आयु निर्धारित करता है और वँहा पर शनि-राहु का साथ होना या उस भाव के स्वामी का शनि राहु से दृष्ट होना या नीच में होना या नवमांश में नीच में होना विवाह की आयु (length of marriage) को कम करता है।Click to read other Blogs
उदाहरण चित्र में देखे UL से दूसरा स्थान कर्क राशि का है जंहा नीच का मंगल बैठा है और कर्क राशि का स्वामी चन्द्रमा नीच की राशि में अपने मरण कारक भाव अष्टम भाव (8th house ) में है , योग के फल स्वरुप विवाह के तुरंत बाद ही विच्छेद हुआ। www.pankajupadhyay.com
ठीक ऐसे ही UL का lord कैसे है और किन ग्रहों से सम्बन्ध बना रहा है ये भी बहुत महत्वपूर्ण है जैसे UL के lord का 12th या 9th lord से कैसा भी सम्बन्ध विवाह के बाद या जीवन साथी का विदेश से कोई सम्बन्ध बताता है, जैसा A7 और UL lords का साथ में दशम भाव होना होना का profession की वजह से संपर्क में आना और फिर विवाह होना मना जायेगा।
इस चित्र में भी देखे तो UL में राहु है और साथ ही शनि की दशम दृष्टि है , जिसने गुरु की 12th house से दृष्टि को भी कमजोर सिद्ध किया और वैवाहिक जीवन में विच्छेद झेलना पड़ा , इसी तरह से विवाह की बहुत सी बारीकियां इस तरीके से समझी जा सकती है Click to read other Blogs
पंकज उपाध्याय
इंदौर
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