Thursday, 26 February 2015

विवाह में देरी का कारन -शनि





शहनाइयों  के बजने और विवाह समारोह की  दावतों का मौसम  में उन लोगो की ख़ुशी में कमी आ जाती है जो स्वयं या  जिनके  अपने उचित जीवन साथी की तलाश में भटक रहे है।  Astrology and Numerology  विवाह में आ रही बाधाओ को समझने और दूर करने में बहुत मदद करते है , विवाह (#marriage) में देरी की परिस्थिति में गुरु और शुक्र (Jupiter and venus) की कमजोरी या जातक का शनि (#saturn)  प्रधान होना बहुत महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।  अधिकतर देखा गया है जिन कुंडलियो (#horoscopes) में शनि (#saturn) प्रबल हो और विशेष रूप से लग्न या दशम भाव में विराजित हो जातक को कर्म प्रधान बना रहा हो तो ऐसे जातको का ध्यान विवाह (#marriage) या जीवनसाथी के चुनाव की तरफ नहीं जा पाता ,  यंहा तक की अगर विवाह हो भी गया तो भी पारिवारिक जीवन की तरफ ध्यान नहीं जा  पाता।  शनि (#saturn)  प्रधान लोग (जिनका शनि (#saturn) बहुत मजबूत हो ) वैसे भी अकेले रहना और जीना ज्यादा पसंद करते है , उनके जीवन में एकाकी पन ज्यादा होता है।  शनि (#saturn) की ही तरह केतु भी एकाकी स्वाभाव वाला ग्रह है , इसको मोक्षदायी संत प्रवृत्ति वाला ग्रह (#Planet) कहा जाता है अतः समझ सकते है की शुक्र (#venus) जैसे चमक दमक वाले ग्रह से अगर केतु जैसा संत सम्बन्ध बनाये तो उसे पारिवारिक  दुनिया से दूर  ही ले कर जायेगा।
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शनि (#saturn)  के अलावा अगर विवाह (#marriage) में देरी है तो गुरु और शुक्र की भूमिका बहुत महत्व पूर्ण होती है ,अगर वे कमजोर और  दूषित अवस्था में है तो।   शुक्र (#venus)  वैवाहिक जीवन का सुख दिलाने के उत्तरदायी ग्रह है और गुरु का कार्य सुखद  समृद्ध पारिवारिक जीवन प्रदान करना है अगर किसी भी परिस्थिति में इन दोनों में से कोई एक ग्रह  या दोनों शनि (#saturn)  या केतु जैसे एकाकी स्वाभाव वाले ग्रह से सम्बन्ध बना रहे है तो विवाह (#marriage) में अवश्य रूप से देरी का कारण बनता है , देरी कितनी होगी  ये निर्भर करता है की ये सम्बन्ध कितना मजबूत है और शनि (#saturn) कितना दूषित एवं प्रताड़ित अवस्था में है। शनि (#saturn)  को दुःख , प्रताड़ना , देरी और अवरोधों का भी ग्रह कहा जाता है और इसका कमजोर हो कर विवाह सम्बन्धी ग्रहो को दूषित करना विवाह में देरी का कारण बनता है।  इसी कड़ी में  सप्तम भाव और उसके स्वामी ग्रह का भी अध्ययन किया जाना चाहिये , क्योंकि सप्तम भाव विवाह (#marriage) का भाव कहा गया है और उसका स्वामी ग्रह जीवन साथी का प्रतिनिधित्व करता है। 
बहरहाल परिस्थिति जो भी हो गुरु और शुक्र  (Jupiter and venus) को प्रबल बना कर स्थिति से निपटा जा सकता है, गुरु (#jupiter) को प्रबल बनाने के लिए सर्वोत्तम उपाय नित्य किसी मंदिर जा कर वंहा शांति से कुछ समय बिताना चाहिए ताकि वंहा स्थित सकारात्मक ऊर्जा (Positive energy)हमारे शरीर को ऊर्जावान बना गुरु तत्व को प्रबल करे , साथ ही दान , नित्य तुलसी को गो घी का दीपक लगाना एवं जरुरतमंदो की मदद तुरंत फल प्रदान करता है।  इसी तरह दूषित शुक्र (#venus) वाले लोगो को एकाकी जीवन त्याग सामाजिक और मित्रो के बीच समय व्यतीत करना चाहिए , शुद्ध इत्र का उपयोग , वस्त्र दान करना और सज सज्जा पर ध्या
न केंद्रित करना तुरंत सकारात्मक ऊर्जा (Positive energy) का प्रवाह बढ़ता है और आकर्षण शक्ति भी बढाता है।Click here to read other blogs

पंकज कुमार उपाध्याय
www.pankajupadhyay.com

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