खुश रहने वाले लोगों की खास आदतें
मित्रो खुश रहना मनुष्य का मूल
स्वाभाव होता है . सच पूछा जाये तो हमारे जीवन का मूल उद्देश्य भी सिर्फ
खुश रहना ही होता है , हम अपने जीवन के जो भी उद्देश्य बनाते है या आपाधापी
में व्यस्त होते है वो सिर्फ और सिर्फ खुश रहने के लिए , किसी ने कहा है
की दुनिया में सारी लड़ाईया शांति पाने के लिए होती है , ठीक उसी तरह हमारे
हमेशा दुखी होने के पीछे भी मूल कारन ख़ुशी प्राप्त करने के लिए किये गए
प्रयास में असफल होना है। आखिर एक छोटा बच्चा अक्सर खुश क्यों
रहता है ? क्यों हम कहते हैं कि बचपन के दिन सबसे अच्छे होते है ,
शायद उन दिनों में हमारे स्वप्न और जीवन के उद्देश्य बहुत बड़े नहीं होते है
, हमें बहुत महंगा खिलौना न मिले तो हम रेती ढेर में घर बना कर ही खुश हो
लेते है , वैसे ख़ुशी का पैमाना नहीं होते , किसी महंगे खिलौने से ख़ुशी और
अच्छे कपड़ो पहन कर भी मिटटी में बैठ कर खेलने से ख़ुशी में कोई अंतर
नहीं होता।
बात आयी संतुष्टि पर , महत्व पूर्ण है संतुष्ट होना सीखना , पर ऐसा सबके साथ नहीं होता है
दुनिया में ऐसे बहुत से लोग हैं जो अपनी काम सुख सुविधा में अधिक खुश रहते है बजाये उनके जिनके पास अधिक सुविधाये है।
तो क्या ऐसे व्यक्ति हमेशा खुश
रहते हैं ? और उनके जीवन में कोई दुःख नहीं आता ? ऐसा नहीं है , औरों की तरह उनके जीवन में भी दुःख-सुख का
आना जाना लगा रहता है , पर आम तौर पर ऐसे व्यक्ति व्यर्थ की
चिंता में नहीं पड़ते और अक्सर हँसते -मुस्कुराते और जो आज उनके हाथ में है उसमे खुश रहते
हैं .
तो सवाल ये उठता है कि जब ये लोग
खुश रह सकते हैं तो बाकी सब क्यों नहीं ?आखिर ऐसा क्या है जो
उसी दुःख में इन्हे खुश रखती है और दुसरो को बिना बात दुखी कर रही है।
कैसे लोगो में कुछ विशेष बाते होती है जो दुसरो में नहीं , बस ये ही अच्छी
आदते है जो ख़ुशी का मूल कारन है और खुश रहना सिखाती है।
आज समाज में अधिकतर ये देखा जाता है की हम
सभी में बुराइया ढूंढते है , किसी के द्वारा बनाया भोजन हो , किसी का नया
मकान या फर्नीचर हो या किसी के द्वारा किया गया कोई नया प्रयास , बस हम
उसकी तारीफ किये बिना उसकी बुराई ढूंढना शुरू कर देते है , ये मानव
स्वाभाव होता है किसी की कमी को ढंढना , अगर हम अपनी आदत को बदलने का थोड़ा
प्रयास करे तो लोगो में कमी ढूढने के बजाये उनमे अच्छाई देख सकेंगे और
उनकी तारीफ भी। बस जरुरत है थोड़ा सकारात्मक होने की , और फिर ख़ुशी आपके
साथ।
गलती मानना सीखे
हमारी सोच के हिसाब से तो हमने जो भी कहा या
बोला सही है , परन्तु शायद हो सकता है की हमारा कहा किसी ने गलत समझ लिया
हो और वो बात उन्हें दिल को छू गयी हो , क्या बुराई है अगर हम स्थिति को
भांप अपनी गलती मान ले , ऐसे ही अगर किसी ने माफ़ी नहीं भी मानी हो और हम
उसकी गलती को दिल से निकाल दे , दुनिया बहुत छोटी है दोस्त किसी को खुश रख
कर भी उससे दुरी बनायीं जा सकती है। कई बार हम बहुत छोटी बात पर बहस कर के
अपने आप को तो जीत दिल दिला देते है परन्तु रिश्ता को हार जाते है।
माफ़ करना और माफ़ी माँगना आपके
दिमाग को हल्का करता है , आपको बेकार की उलझन और परेशान करने
वाली विचारो से बचाता है , और ये आपकी ख़ुशी का कारन बनता है। माफ़ कर
के आप किसी को दिमाग से निकल देते है परन्तु अगर माफ़ नहीं करते तो वो
व्यक्ति हमेशा आपके दिमाग में जगह बना कर आपके दुःख का कारन बनता है।
महंगा से महंगा मनोरंजन का साधन खरीद ले वो
आपको उतनी ख़ुशी नहीं देगा जितनी आपको परिवार और मित्रो के बीच मिलेगी ,
ख़ुशी सिर्फ और सिर्फ आपके साथ के लोग ही आपको दे सकते है जिस तरह से आप
लोगो की ख़ुशी का कारन बनाते है। हमेशा आत्म चिंतन में ये सोचते रहे की
आपके पास अपने मन की बात करने वाले कितने लोग है , बेशक ऐसे लोग बहुत काम
होते है या बहुत किस्मत से मिलते है , आप जब अकेले हो मुसीबत में हो तो
क्या फ़ोन कर के कितने लोगो को बुला सकते है। ख़ुशी की एक सबसे बड़ी वजह है
मित्र और परिवार , जीवन एक त्यौहार है और इसको किसी उत्सव की तरह मनाने के
लिए आप को सहयोगी चाहिए। उनमे आपकी ख़ुशी छुपी है।
खुश रहने वाले अपने मन का काम करते हैं या जो काम करते हैं उसमे मन लगाते हैं :
यदि अपने मन
का काम करते हैं तो निश्चित वो आपको ख़ुशी देगा , लेकिन ज्यादातर
लोग इतने भाग्य शाली नहीं होते , उन्हें ऐसी व्यवसाय में लगना
पड़ता है जो उनके पसंद का नहीं होता . पर खुश रहने वाले लोग
जो काम करते हैं उसी
में अपना मन लगा लेते हैं , भले ही साथ में वो अपना पसंदीदा
काम पाने का प्रयास करते रहे .
कई बार लोग जंहा नौकरी करते
हैं उसी जगह की बुराई करते है , अपने काम को दुनिया का
सबसे बेकार काम कहते है , ऐसा करना आपके जीवन को और अधिक कठिन बनाता
है . खुश रहने वाले अपने काम की बुराई नहीं करते ,
वो उसके सकारात्मक पहलुओं पर ध्यान देते है और काम में आनंद लेते
है. बेहतर हो जो आपके पास है उसमे खुश रहो , जीवन का असली आनंद उसी में
है। यदि हम दुनिया के सबसे खुशहाल लोगों को देखें तो वो
वही लोग होंगे जो अपने मन का काम करते हैं , इसलिए यदि आप जो
कर रहे हैं उसे enjoy करना , उससे सीखना अच्छी बात है पर Steve Jobs
की कही बात भी याद रखिये: “आपका काम आपकी जिंदगी का एक बड़ा हिस्सा होगा,
और truly-satisfied होने का एक ही तरीका है की आप वो करें जिसे आप सच-मुच
एक बड़ा काम समझते हों…और बड़ा काम करने का एक ही तरीका है की आप वो करें
जो करना आप enjoy करते हों.”
जरुरी नहीं आप जो सोच रहे है वो ही सही है
वैज्ञानिको के अनुसार हमारा दिमाग हर
रोज़ 60,000 विचार पैदा करता है , और एक आम आदमी के मामले
में इनमे से अधिकतर विचार नकारात्मक होते हैं . अगर आप अपने आप को
व्यस्त या सकारात्मक सोच में या सकारात्मक कार्यो में व्यस्त रखेंगे ये
नकारात्मक विचारो को जगह नहीं मिलेगी अन्यथा खुश
रहना तो मुश्किल हो जायेगा। ये सोचना भी आवश्यक है की हो सकता
है जो हम सोच रहे है वो गलत हो और जो सामने वाला वो सही हो , ऐसा कर
के इंसान सामान्य हो जाता है , दरअसल हमारी
सोच के हिसाब से दिमाग में ऐसे रसायन निकलते है जो
हमारे मूड को खुश या दुखी करते हैं .
जब आप नकारात्मक विचारों को सच मान
लेते हैं तो आप का रक्त प्रवाह बढ़ने लगता है और आप दुखी हो
जाते हैं , वहीँ दूसरी तरफ जब आप उन गलत बातो को सच मानाने लगते है
जो आपके दिमाग को सामान्य होने का रसायन दे रहे है और अंततः आप दुःख को
बढ़ाते है।
अपने जीवन को सामान्य न समझे , इसके पीछे कोई उद्देश्य है।
एक बार एक बूढी औरत कहीं से आ रही
थी कि तभी उसने तीन मजदूरों को कोई ईमारत बनाते देखा . उसने
पहले मजदूर से पूछा ,” तुम क्या कर रहे हो ?”, “ देखती नहीं मैं
ईंटे ढो रहा हूँ .” उसने जवाब दिया .
फिर वो दुसरे मजदूर के पास गयी और
उससे भी वही प्रश्न किया ,” तुम क्या कर रहे हो ?” ,” मैं अपने
परिवार का पेट पालने के लिए मेहनत – मजदूरी कर रहा हूँ ?’ उत्तर
आया .
फिर वह तीसरे मजदूर के पास गयी और पुनः वही प्रश्न किया ,” तुम क्या कर रहे हो ?,
उस व्यक्ति ने उत्साह के साथ उत्तर दिया , “ मैं इस शहर का सबसे भव्य मंदिर बना रहा हूँ ”
आप अंदाजा लगा सकते हैं कि इन तीनों में से कौन सबसे अधिक खुश होगा!
दोस्तों, इस मजदूर की तरह ही खुश
रहने वाले व्यक्ति अपने काम को किसी बड़े उद्देश्य से जोड़
कर देखते हैं , और ऐसा करना वाकई उन्हें आपार ख़ुशी देता है .