Wednesday, 6 May 2015

अंको और वैदिक तिथियो का सम्बन्ध



अंकशास्त्र (Numerology) की बात  करते हुए हमेशा 8 और 4 अंको के दुष्प्रभाव की बात की जाती है क्योंकि ये अंक नकारात्मक ऊर्जा (Negetive energy) का प्रभाव लिए हुए होते है , 8 शनि का अंक है और 4 राहु का , राहु का कार्य अचानक जीवन में उतार चढाव लाने का है इसीलिए किसी भी प्रकार की दुर्घटना (accident) को राहु के दुष्प्रभव के रूप में देखा जाता है , शनि का  सम्बन्ध वैसे भी दुःख , दर्द और त्रासदियों से है . हाल ही में नेपाल )(Nepal )में आये महाविनाशकारी भूकम्प (Earthquake) को इस का अंकशास्त्रिय आकलन किया जाये तो देखे की एक तो ये वर्ष का जोड़ 8  (2+0+1+5 = 8) है ,  उस दिन वार भी शनिवार था साथ ही सप्तमी तिथि , जिसका स्वामी शनि को कहा गया है . वर्तमान में शनि का गोचर मंगल के स्वामित्व शत्रु राशि वृश्चिक में है ,यंहा तक की Nepal (5+5+8+1+3 = 22= 4) का नामांक भी 4 है, अर्थात ये सारे योग किसी बड़ी परेशानी का संकेत तो दे ही रहे थे . वृष्चिक राशि में शनि (Saturn in scorpio) के गोचर को शुभ गोचर नहीं कहा जा सकता , बात यही नहीं इसके पहले भी जितने त्रासदी दायक भूकम्प (Earthquake) आये उनका भी सम्बन्ध 4 और 8 से कंही न कंही रहा है . 04.04.1905 को हिमालय में आया भयानक भूकम्प जब तारीख और माह 04 थे और तिथि थी अमावस्या की जिसका स्वामी राहु को कहा गया है और नकारात्मक भी माना गया है .
 
15 जनवरी 1934 को आया महाविनाशकारी  भूकम्प (Earthquake) जिसने नेपाल Nepal) में ही तबाही मचाई थी , वो वर्ष भी 8 के ही जोड़ वाला था , उस दिन भी तिथि अमावस्या ही थी और शनि व् राहु साथ में भ्रमण कर रहे थे , याद रहे ही 2013 में भी शनि राहु का भ्रमण साथ था और केदारनाथ में भीषण हादसा हुआ था जिसको लोग कभी भुला नहीं पाएंगे . 30.09.1993 को कभी नहीं भुला पाने वाला विनाशकारी भूकम्प (Earthquake) दिन पूर्णिमा तिथि थी जिसका स्वामी शनि को कहा जाता है और साथ ही वर्ष का जोड़ था 4 , देखे जब वर्ष का जोड़ 8 रहा तो राहु प्रधान अमावस्या को दिक्कत आई और जब वर्ष का जोड़ 4 रहा तो शनि प्रधान पूर्णिमा को. 26 जनवरी 2001 को गुजरात में आये भूकम्प (Earthquake in gujrat) को वर्ष का जोड़ तो न 4 रहा न 8 , उस दिन तारीख जरूर 26(8) थी , उसके पहले भी 2004 (4) के वर्ष में 26 दिसम्बर को हिन्द महासागर में भूकम्प  (Earthquake) ने तबाही मचाई थी , उस दिन भी तिथि पूर्णिमा की थी जिसके स्वामी शनि देव है बात सिर्फ यही नहीं इन दिनों में नक्षत्रो की भी गणना करे तो बहुत से ग्रह शनि और राहु प्रधान हो कर उनसे सम्बन्ध बनाते है .
वर्ष 2005 में भी एक भूकम्प  (Earthquake) ने कश्मीर ने तबाही मचाई थी तब तारीख थी 8 ऑक्टोबर और वार था शनिवार , शनि उस वक़्त सुन्दर राशि कर्क जो की जल तत्त्व प्रधान है में गोचर कर रहे थे . कुल मिला कर समझे तो कई जगह ऐसा लगता है कैसे अंकशास्त्र (Numerology) और प्राचीन भारतीय मुहूर्तः शास्त्र में बहुत गहरा और बारीक़ सम्बन्ध है जिसको समझ कर हम अपने जीवन से नकारात्मकता कम कर सफलता  का प्रतिशत बढ़ा सकते है साथ ही कुंडली में बैठे कमजोर और दूषित ग्रहो से सम्बंधित अंको से से बच कर समस्याओ को कम कर सकते है


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