Friday, 15 May 2015

The Third house in Horoscope



हर मार्ग दर्शक अपने व्यक्तव्यों में जीवन में सफलता की कुंजी के रूप में एक बात का जिक्र जरूर करता है,  वो है आपकी दूरदर्शिता और अपने लक्ष्य के प्रति आपका  दृष्टिकोण एवं तत्पश्चात उस तक पहुचने के लिए किये गए कर्म , यानि आज की परिभाषा में Vision, attitude and actions or initiatives for achieving goals .  लक्ष्य प्राप्ति के लिए किये जा रहे प्रयासों के अलावा एक और बात महत्वपूर्ण होती है वो है आपका भाग्य , भाग्य और कर्म के बीच के सम्बन्ध को समझने के लिए अगर हम जन्म कुंडली को समझ ले तो शायद सारी कहानी हमें समझ आ जाये .
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Horoscope का 3rd House  एक बहुत महत्वपूर्ण स्थान होता है, ये कहलाता है पराक्रम भाव , किसी कार्य  की शुरुआत का भाव , इसी में लगती है त्वरित निर्णय क्षमता , आत्म विश्वास और हिम्मत।   छोटी यात्राए और छोटे भाई बहन इसी भाव से समझे जाते है ।  जबतक हम कार्य शुरू नहीं करेंगे तब तक उसकी सफलता की कामना नहि कि जा सकती और भाग्य (Fortune) का समर्थन नहीं मिल सकता इसीलिए तृतीय भाव (3rd House) के ठीक सामने वाला भाव अर्थात नवम भाव कहलाता है भाग्य भाव ।  इस बात को समझने के लिए 100 मीटर दौड़ का उदहारण लिया जा सकता है क्योंकि उसमे जीत उसी की होती है जो सबसे तेज शुरुआत करे और ये सबसे तेज शुरुआत करवाने वाला भाव है।
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भाग्य भाव निर्धारित करता है लक्ष्य प्राप्ति को और उसमे आ रहे अवरोधों को , जितना अधिक सौम्य और  शुभ ये भाव होगा सफलता उतनी जल्दी सुनिश्चित होगी , अब महत्व पूर्ण है  जो निर्धारित करता है किसी कार्य की शुरुआत को , इस स्थान में क्रूर ग्रहो का होना राजयोग कारक है , ये योग Courage बढ़ाता है ताकि किसी भी प्रकार का भय कार्य की शुरआत में शंका कुशंका पैदा न करे , इसीलिए मंगल को इस भाव का कारक ग्रह माना गया है, मंगल साहस के अलावा  तर्क शक्ति और त्वरित निर्णय क्षमता का प्रतिनिधित्व करता है, इसीलिए जितना मजबूत मंगल उतनी त्वरिक प्रतिक्रिया या कार्य की शुरुआत । 
इस भाव का सम्बन्ध 9वे भाव से होना भाग्य की सहायता से लक्ष्य प्राप्ति को सुनिश्चित  करता है, वंही लग्न से सम्बन्ध सहस में वृद्धि करता है , इस भाव की मजबूती अत्यंत आवश्यक है , अष्टम या बारहवे भाव से इसका सम्बन्ध कार्य की शुरुआत में देरी , आत्म विश्वास की कमी के अलावा शुरुआत के बाद दिशा को भटकता है । कुल मिला कर तृतीय भाव एक अत्यंत ही महत्व पूर्ण भाव है क्योंकि ये आज के समय की सबसे बड़ी समस्या है लक्ष्य का निर्धारण और उसकी प्राप्ति के लिए आवश्यक अहर्ताये प्राप्त कर कदम बढ़ाना , आज के समय में अधिकतर लोगो की असफलता के दो ही कारन है प्रथम सही समय पर आगे बढ़ने के लिए कदम नहीं उठा पाना और दूसरा मूल उद्देश्य से भटकना । अपने से छोटे भाई बहनो का सहयोग मिलना  भी इसी भाव पर निर्भर करता है साथ ही छोटी यात्राए , जो की ज्ञानार्जन और दुनिया को समझने के लिए अति आवश्यक है और सफलता के लिए बहुत जरुरी।  Click to read other blogs

पंकज उपाध्याय
इंदौर
Ph : 97553 66622 / 9753000001
www.pankajupadhyay.com