Wednesday, 18 May 2016

साई औऱ राम नवमी पर्व


साई औऱ राम नवमी पर्व


राम नवमी का पर्व साईनाथ को अत्यन्त प्रिय  था। इस दिन  इन्होने राम नवमी और उर्स का एकीकरण कर शिर्डी में हिन्दू मुस्लिम एकता की  पवित्र मशाल प्रज्जवलित की थी ,  उनके द्वारा दिया ये सन्देश आज भी पुरे
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जब सन १८५७ में सर्वप्रथम शिर्डी में राम नवमी काउत्सव आरम्भ हुआ था   तो उन दिनों शिर्डी  एक छोटा सा गॉव हुआ करता था इस वजह से वंहा जल का अत्यधिक  अभाव था। गॉव में केवल दो कुए थे,जिनमे से एक का जल गर्मियों में सुख जाया करता था और दूसरे  का बहुत खारा था।

जब प्रथम  बार राम नवमी का उत्सव निकट  आया तो साई श्री  ने बाहर के समस्त  कार्य का भार  तात्या पाटिल  और भीतर के कार्य  का भार अपनी एक परम भक्त राधा कृष्णा  माई को सौप दिया । तात्या पाटिल  के कार्य में हाथ बताने के लिए अनेक स्वयं सेवकस्वेच्छा से तैयार हो गए ,जिन्होंने तात्या साथ मेले के सभी प्रबंधो में सक्रिय  भाग लिया।

तात्या  के सम्मुख  सब से गम्भीर समस्या मेले में जल  के प्रबंध की थी क्योंकि ऐसी आशा थी की इस मेले में सम्मिलित होने के लिए बाहर से आने वालो की संख्या लगभग पांच हजार से अधिक हो जाएगी । तात्या  ने कुछ भक्तो के साथ  साई श्री  के समीप जा कर जब जल की  समस्या के निराकरण हेतेु बात की  तो साईश्री  ने उस कुवे में , जिसका जल खारा था , एक पुष्प  डाल कर , उसका जल मीठा कर दिया , दूसरे कुवे में जिसका जल प्रायः मार्च अप्रैल  के माह पूर्णतया  सुख जाया करता था , साई श्री  ने तात्या  को उस कुवे में  वे सभी वस्तुए डालने का आदशे दिया , जो साई श्री को आज भिक्षा में प्राप्त हुई थी  और वे सभी वस्तुए प्रसाद स्वरुप  रखी हुई थी ।Click to read other blogs

साई श्री  के आदशेानुसार  तात्या  ने पत्तल में रखी हुई खाने की  सभी वस्तुए  जैसे ही उस कुए में डाली  तो कुवे की तलहटी से जल की एक तेज  एक तेज धारा फुट पड़ी। कुछ ही देर में वंहा सुखा कुवा जल से पूर्णतः  भर गया।  साई बाबा के इस “यथा संकल्प सिद्धि  “ को देख कर सभी हर्ष से आनन्दित  हो उठे। इस तरह से साई बाबा ने शिर्डी जल समस्या का सदा के लिए निराकरण कर दिया ।


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पंकज उपाध्याय 
इंदौर