Saturday, 7 May 2016

साईं सन्देश- सदगुरु को समर्पण

साईं सन्देश- सदगुरु को समर्पण



बाबा ने हमेशा कर्म प्रधान और आडम्बरो  एवम  अंध विश्वास से दुर रहने के सन्देश दिये है , बाबा कहते रहे कि अपना  कर्म करते रहो और अपने सद्गुरु को अर्पित कर दो , वो तुम्हारे कल्याण करेंगे।

अर्पित कर गुरु चरण मे , अहंकार को छोड़ !
सत्य स्वरूपी साईं से , अपने रिश्ते जोड़ !!

एक बार  दीपावली का मंगल महोत्सव मनाया जा रहा था , बाबा श्री ने हमेंशा कि तरह लकडिया ड़ाल कर dhunee को प्रज्वल्लित किया और हाथ पांव सेंकते हुए अचानक अपने हाथ अग्नि मे ड़ाल  दिये , धधकती अग्नि मे हाथ डाल जैसै वो अपने हाथ जलाना चाह रहे हो, पास  ही बैठे माधवरावजी का ध्यान जैसे ही उन पर गया उन्होने एकदम से बाबा को कमर से पकड़ कर बल पूर्वक बहार खींचा और घबरा  कर पूछा , देव आपने ये क्या  किया , समाधी  भँग होते ही बाबा शान्तिः से बोले , अरे मेरे एक लुहार भक्त कि बीवी बीवी भटठी के पास बैठी थी और पति के पुकारने पर जैसे ही वह वंहा से उठी godi में सोया उसका छोटा बच्चा भट्टी मे गिर पड़ा।  मैंने तुरंत उस बच्चे को बाहर निकाला और बचा लिया , मेरे हाथ झुलस गये इसका कोइ दुख नही पर उस नन्हे के प्राण बच गये ये बहुत ही अच्छा हुआ।   
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इस घटना को सुन  कर बाबा के ये सन्देश कि “अपने आप को अपने साई को अर्पित कर दो” को समझ चुके होंगे, बाबा श्री कहते है तुम चाहें कंहीं भी हो जैसी तुम भक्ति करोगे उंसी भाव से मै तुम्हारी रक्षा करुँगा।  

बाबा अंध विश्वास से भी दुर रहने की प्रेरणा दिया करते थे , जब शिर्डी मे हेजा फैला तो पंचायत ने निर्देश दिये कि गांव मे बाहर से लकड़ी नहि आएगी , बाबा ने बाहर से लकङी ला कर मस्जिद मे रखी और गाँव चारो तरफ़  कि सीमा पर आटा पिसवा कर फैलवा दिए जिससे हैजे का प्रकोप नही फ़ैल पाया , साथ ही उन्होने यह भी बताया कि लकडिया गांव मे ना आने देना अन्धविश्वास  से अधिक कुछ नही था।  

जीवन को सुन्दर बनाने के लिये और कुछ आवश्यकता नही बस हम  अपने आपको सद्गुरु साई को समर्पित कर दे , बाकि सब उसके हाथ।

पंकज उपाध्याय 
इंदौर