Sunday 12 June 2016

बहती नदी - A Beautiful Story



एक संत बहुत दिनों से नदी के किनारे बैठे  थे, एक दिन किसी व्यकि ने उससे पुछा आप नदी के किनारे बैठे-बैठे क्या कर रहे हैं.?  संत ने कहा, इस नदी का जल पूरा का पूरा बह जाए इसका इंतजार कर रहा हूँ।

व्यक्ति ने कहा  यह कैसे हो सकता है। नदी तो बहती ही रहती है सारा पानी अगर बह भी जाए तो, आप को क्या करना.?
संत ने कहा मुझे दुसरे पार जाना है,  सारा जल बह जाए, तो मैं चल कर उस पार जाऊँगा।उस व्यक्ति ने गुस्से में कहा: आप पागल नासमझ जैसी बात कर रहे हैं, ऐसा तो हो ही नही सकता। 

तब संत ने मुस्कराते हुए कहा : यह काम तुम लोगों को देख कर ही सीखा  है। तुम लोग हमेशा सोचते रहते हो कि जीवन मे थोड़ी बाधाएं कम हो जाएं, कुछ शांति मिले, फलाना काम खत्म हो जाए तो  भगवान के दर्शन करू, उस तीर्थ के दर्शन करू, बच्चा बढ़ा हो नए तो ऐसा कुछ करूँगा , तब कोई यात्रा करूँगा , नौकरी में तरक्की मिल जाये तब मित्रो के साथ आनंद करूँगा और भी पता नहीं कैसी कैसी अनंत इच्छाये है तुम्हारी।

सुख के पल के लिए प्रतीक्षा मत करो जिस पल में जी रहे हों वो पल कुछ भी करने के लिए सर्वश्रेष्ठ है, जो है उसमे जी लो तो आने वाला समय और अधिक उत्तम होगा उसको और अच्छे से जी लेना । जीवन भी तो नदी के समान है यदि जीवन मे तुम यह आशा लगाए बैठे हो, तो मैं इस नदी के पानी के पूरे बह जाने का इंतजार क्यों न करूँ..?

अभी भी वक्त है, सद्कर्म से जुडो , ईश्वर की तुम पर पूरी नजर है सब कुछ होते हुए भी तुम लालच में अंधे होते हो तो उसको दुःख होता है, तुम हंसते हो जीवन का हर सुख सबसे बांटते हो, संतुष्टि और  आनंद से रहते हो तो ईश्वर प्रसन्न होता है।  भाग्यशाली वो नहीं होते जिन्हें  जीवन में सब अच्छा मिलता है, भाग्यशाली वो होते है जो जीवन में जो मिला है उसका आनंद उठाते है।

उसका नाम लेते चलो और आनंद से जीवन को जीते चलो क्योंकि ये नदी तो बहती जा रही है अनंत सागर की तरफ। 

जय श्री कृष्णा