Friday, 13 November 2015

चन्द्रमा - मातृत्व सुख के लिए आवश्यक ग्रह




चन्द्रमा (moon) जल तत्त्व प्रधान ग्रह है और भावनाओ (emotions) और प्रेम पर इसका पूर्ण नियंत्रण है, जन्म कुंडली (horoscope) का चतुर्थ भाव मातृत्व सुख का भी भाव है और मानसिक सुख का भी, कोई भी व्यक्ति अपना प्रारम्भिक मानसिक संतोष और सुख माँ की गोद में ही प्राप्त करता है अतः चतुर्थ भाव (4th house) का प्रमुख कारक ग्रह चन्द्रमा (moon) को ही बताया गया है।
महिलाओ की कुंडली में  मातृत्व सुख के लिए चन्द्रमा (moon)  को  सर्वाधिक प्राथमिकता दी जाती है, एक प्रबल चन्द्रमा  किसी भी स्त्री (female) को मातृत्व सुख प्रदान करने में  मदद करता है, अर्थात चन्द्रमा (moon) के कमजोर होने या किसी बुरे भाव में पदस्थ होने की स्थिति में या बुरे ग्रहो से सम्बन्ध  होने से मातृत्व सुख में कमी आने या सुख प्राप्ति ने बहुत अवरोध होने की पूर्ण संभावना रहती है।
एक माँ (mother) भूमि (land ) की तरह बीज (seed) को अपनी कोख में भीतर संभाल कर पोषित  करती है, ज्योतिष में चन्द्रमा को इस कोख का प्रतिनिधि ग्रह कहा गया है  कई कमजोर ग्रह परिस्थितियों में इस संस्कार का  पूर्ण नहीं हो पाना मातृत्व सुख में गंभीर कमी लाता है।
अष्टम भाव (8th house)  मृत्यु का भाव का है और चन्द्रमा का इसमें पदस्थ होना चन्द्रमा को मरण कारक बनाता है, जो स्त्री पक्ष की शारीरिक स्वस्थ्य में कमी के साथ मानसिक स्वस्थ्य और मातृत्व सुख में कमी की तरफ इशारा करता है। चन्द्रमा का कमजोर हो मंगल और शनि से गहरा सम्बन्ध भी शारीरिक कमी को दर्शाता है जिस वजह से गर्भ धारण करने के पहले या बाद स्वास्थ्य समस्याओं के चलते संतान सुख में कमी रहती है।

कई परिस्थितियो में चन्द्रमा के मजबूत होने के बावजूद भी परिस्थितिया विपरीत होती है उसके कारणों में चन्द्रमा के त्रिकोण स्थानों जिनसे उसे बल मिलता है का कमजोर होना एवं पंचम भाव जो की संतान भाव कहा जाता है का कमजोर होना भी होता है। यंहा चन्द्रमा के साथ पंचम भाव के स्वामी का भी अध्ययन की जाना आवश्यक होता है , फिर भी चन्द्रमा की स्थिति का मजबूत होना सर्वोच्च प्राथमिकता होती है।
संतान सुख में कमी के लिए चन्द्रमा को पूर्णतः नहीं तो भी बहुत हद तक उत्तर दायी कहा जा सकता है, यंहा तक की उसके स्वामित्व की राशि कर्क (cancer) को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए क्योंकि वो राशि कुंडली के जलतत्व पर नियंत्रण करती है और उसका  किसी भी प्रकार   से दूषित होना मानसिक और शारीरिक स्वस्थ्य दोनों को प्रभावित करता है , हालाकि संतानसुख में कमी के लिए  सिर्फ स्त्री पक्ष की कुंडली उत्तरदायी नहीं होती परंतु फिर भी दोनों कुंडलियो  उपस्थित कमियो को इस प्रकार से समझ कर मातृत्व सुख में कमी के दोष को बहुत अच्छे से दूर किया जा सकता है। Click here to read all the blogs 
पंकज उपाध्याय
इंदौर
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