Friday, 13 May 2016

Analysis of Shri GhanshyamDasji Birla's Horoscope


श्री घनश्यामदासजी बिरला (Ghanshyamdas Birla) का जन्म 10 August 1894 में राजस्थान (#rajasthan) के  पिलानी में हुआ था , जिस तरह से सफल लोगो का जीवन परिचय कुछ सीख दे जाता है वैसे ही उनकी horoscope की study भी ज्योतिष के प्रति विश्वास बढ़ा देती है और उसकी बारीकियों से अवगत करा देती है।
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लग्न (Ascendant):

Aquarius (कुम्भ) लग्न में जन्मे लोग गम्भीर , परिपक्व और गहरी सोच वाले होते है , ये हमेशा अपने काम के प्रति ईमानदार और इनका ध्यान अपने लक्ष्य के प्रति केंद्रित होते है। इस लग्न की विशेषता है की 11th और 2nd  में गुरु की राशि होती है अतः दोनों ही house का lord (स्वामी ग्रह ) गुरु ही होता है , इन दोनों स्थानों के lords के बीच मजबूत सम्बन्ध प्रबल धनयोग पैदा करता है।  अतः इस लग्न में पैदा लोगो को गुरु की मजबूत स्थिति से प्रबल धनयोग कुंडली में मिलता है। Click to read other blogs
लग्न भाव  का स्वामी शनि अष्टम भाव में केतु के साथ है , शनि यंहा मित्र राशि में  और केतु शत्रु राशि में है, ये बहुत अच्छा योग नहीं कहा  जा सकता परन्तु इन दोनों ग्रहो पर भी गुरु की दृष्टि ने शुभ फल दाई बना दिया। 

चतुर्थ भाव (4th House)  :

Horoscope का 4th house property और परिवार के सुख के अलावा मन की स्थिति भी दर्शाता है, गुरु (jupiter) और चन्द्र (moon) की मजबूत स्थिति से बना गज-केसरी योग ने अपार प्रसिद्धि  और धन सुख के साथ उदार ह्रदय दिया, जो कारन बना  उनके द्वारा किये सामाजिक कार्यो का।  गुरु (jupiter) यंहा 2nd और 11th house lord है , जो की एक बड़ा धन योग बना रहा है , ये ही योग है की उन्होंने अपने द्वारा अर्जित धन एक साम्राज्य खड़ा करने में लगाया। Click to read other blogs

चन्द्रमा (moon ) 4th house का कारक ग्रह है और उसका 4th house में उच्च की राशि में होना 4th house को बहुत मजबूत बना रहा है , इतने प्रबल चतुर्थ भाव के बिना इतने बड़े साम्रज्य की कल्पना व्यर्थ है।  

आरूढ लग्न (Arudh Lagn) :

कुंडली का एक विशेष भाव जो  व्यक्ति की सामाजिक जीवन में छवि के  बारे में बताता है , घनश्यामदासजी की कुंडली में 3rd house AL है , AL से दूसरे भाव में गुरु , चन्द्र , बुध या शुक्र का होना या इनमे से एक से अधिक का होना अत्यन्त प्रबल धन  योग निर्मित करता है , इनकी कुंडली में AL से दूसरे अर्थात 4th house में गुरु और चन्द्र है , ये गुरु नवमांश कुंडली में भी प्रबल है। Click to visit facebook page


कर्म-स्थान (10th House for Profession) :

कर्म भाव  का स्वामी मंगल 12th house में अपनी उच्च (exalted sign) की राशि में है और साथ ही गुरु से दृष्ट जो की धन का करक ग्रह होने के साथ साथ 2nd और 11th house का lord भी है, 10th  house lord मंगल पर गुरु के दृष्टि ने  कर्म क्षेत्र को इतना अधिक सफल बनाया ।
उन्होंने  अपने व्यापर को सिर्फ देश ही नहीं दूर देशो तक विभिन्न क्षेत्रो में फैलाया , banking , cement, tea , automobile और भी बहुत कुछ , इस व्यापर की शुरुआत राहु शुक्र के समय में 1919 हुई थी , शुक्र नवम भाव (9th house ) का स्वामी है और लग्न में बैठ बहुत मजबूत सिंहासन योग बना रहा है।  
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वैवाहिक जीवन (Marriage )

7th house विवाह के बारे में बताता है , इस स्थान का lord सूर्य 2nd house में राहु के साथ है और शनि से दृष्ट है, राहु और शनि दोनों  ही सूर्य के परम शत्रु है , उनकी पहली पत्नी की जल्दी मृत्यु हो गयी थी और पुनर्विवाह में भी वो ही परिस्थिति रही , हालांकि दोनों विवाह से पांच संतान हुई ।  पहली धर्मपत्नी का निधन राहु में गुरु की अन्तर्दशा में 1910 में हुआ और दूसरी धर्मपत्नी का निधन 1926 में तब भी गुरु में गुरु की अन्तर्दशा चल रही थी, गुरु सूर्य के नक्षत्र में है और सूर्य सप्तम भाव का स्वामी , गुरु के सप्तम भाव से इस दूषित सम्बन्ध ने उन्हें क्षति पहुंचाई। 

 मुख्य समय :

गुरु की दशा 1924 से शुरू हो कर 1940 तक चली और फिर 1940 से 1959 ये पूरा समय उनके  लिए बहुत शुभ फल देने फल था ,हलाकि उसके बाद भी बुध की दशा बहुत अच्छी रही जो की नीच की राशि में  2nd house में है परन्तु गुरु के 4th house में आने से नीच भांग राजयोग का निर्माण कर रहा है। 

सूर्य के साथ होने से सूर्य -बुध का बुधादित्य योग भी है ,बुध राहु का योग विशेष कर 2nd और 11th house में अचानक बड़ी आर्थिक सफलता देने वाला योग है। Click to read other blogs

11 जून 1983 को 90 वर्ष की आयु में उनका देहांत हुआ जब केतु की दशा में बुध की अन्तर्दशा चल रही है , अष्टम भाव को मृत्यु भाव कहा गया है , केतु उनका अष्टम भाव में है और बुध अष्टम भाव का स्वामी , केतु शत्रु राशि में है और लग्नेश शनि के साथ अतः ये समय उनके लिए मारक बना।  Click to read other blogs

पंकज उपाध्याय
इंदौर
www.pankajupadhyay.com