मित्रो जब भी हम किसी बर्तन में भर कर कोई सामान एक जगह से उठा कर दूसरी जगह करते है , मसलन घर के गार्डन में ही किसी मिटटी डालने का काम करे या किसी मजदुर को तगारी में भर कर रेती इधर से उठा कर उधर डालते देखे , तब पाएंगे की वो बर्तन कितना भी साफ सुथरा क्यों न हो वो मिटटी या रेती से गन्दा हो जाता है , ठीक वैसे ही अगर देखे की ऐसे ही काम किचन में अगर अनाज , शक्कर या कोई खाने के सामान के लिए करे तो भी उस बरतन में उसके कुछ अंश रह जाते है यंहा की फूलों का काम करने वाले व्यक्ति के थैले में आखिरी में बहुत सी सुन्दर पंखुड़िया रह जाती है। Click to visit my facebook page
आप सोच रहे होंगे मैं क्या कहना चाहता हु ? दरअसल मेरा समझाने का मतलब है की हमारा मन भी इस बर्तन की तरह होता है , बहुत से लोगो की आदत होती है दूसरों में कमिया ढूंढने की और उस बारे में हमेशा बाते करते रहने की , जितना हम दूसरों के बारे में बुराई करते है उतना ही हमारा मन -मस्तिष्क मलिन होता जाता है और परिणाम स्वरुप हमारी सोच नकारात्मक (negative) होती जाती है। इसके ठीक विपरीत हम जितना अच्छी सोच रखेंगे और लोगो में अच्छाई ढूंढने की कोशिश करेंगे और उनकी तारीफ करेंगे हमारी सोच सकारात्मक (positive) होती जाएगी, ठीक ऐसे ही जितना अच्छी सोच (सकारात्मक) वालो के साथ हम रहेंगे हमारे मन में positive विचार आएंगे और नकारात्मक सोच (नेगेटिव) वालो के साथ रहने पर हम अपने आप को असहज महसूस करेंगे और नकारात्मक विचार हमारे मन में आएंगे।
आप कुछ देर किसी व्यक्ति के बारे में बुराई कर के देखिएगा , उसके बहुत देर बाद तक आपका मन किसी सकारात्मक कार्य में नहीं लगेगा और आप उन्ही बुराइयों और उस व्यक्ति के बारे में सोचते रहेंगे , दरअसल हमारे अंदर का सिस्टम ही ऐसा ही की आप अगर किसी के बारे में अच्छा सोचेंगे तो आप को उसी सम्बन्ध में अच्छे विचार आयेंगे और बुरा सोचेंगे तो आपका मस्तिष्क आपको उसी दिशा में ले जायेगा।
आप एक प्रयोग कीजियेगा किसी शहर के बारे में सोचियेगा तो अपने आप उस शहर में रहने वाले मित्र या सम्बन्धी के बारे में ख्याल आपको आने लगेंगे और फिर आप उसी दिशा में सोचते चलेंगे, बस ठीक इसी तरह हमारा मस्तिष्क नकारात्मक दिशा में बढ़ता चला जाता है। आप चाहे तो कुछ दिन सिर्फ गलतियां ढूंढने वाले नकारात्मक सोच के किसी मित्र के साथ कुछ समय नित्य गुजर कर देखे , आप अपने अंदर आसानी से नकारात्मक परिवर्तन महसूस करने लगेंगे , यंहा तक की आप देखने आप से आपके अच्छे मित्र आप से दूर हो रहे है या अच्छे अवसर आपके पास नहीं आ रहे है .
आप एक प्रयोग कीजियेगा किसी शहर के बारे में सोचियेगा तो अपने आप उस शहर में रहने वाले मित्र या सम्बन्धी के बारे में ख्याल आपको आने लगेंगे और फिर आप उसी दिशा में सोचते चलेंगे, बस ठीक इसी तरह हमारा मस्तिष्क नकारात्मक दिशा में बढ़ता चला जाता है। आप चाहे तो कुछ दिन सिर्फ गलतियां ढूंढने वाले नकारात्मक सोच के किसी मित्र के साथ कुछ समय नित्य गुजर कर देखे , आप अपने अंदर आसानी से नकारात्मक परिवर्तन महसूस करने लगेंगे , यंहा तक की आप देखने आप से आपके अच्छे मित्र आप से दूर हो रहे है या अच्छे अवसर आपके पास नहीं आ रहे है .
मित्रो बहुत स्पष्ट है की हम अंदर से जितने सकारात्मक होंगे उतना ही हमारा आभामंडल (aura) सकारात्मक होगा और आकर्षक होगा , वो न सिर्फ अच्छे रिश्तों बल्कि शुद्ध और सकारात्मक विचारों (positive thoughts) को भी आकर्षित करेगा , जो कारण बनेंगे आपकी तरक्की और शांति के। Click to read other blogs
इसके अलावा जब आप लोगो की अच्छाइया देखेंगे तो आपको भी कुछ नया दिखेगा, सीखने और समझने के लिए , हम में से कई लोगो में ये आदत हो सकती है बुराई ढूंढने और करने की परन्तु ये आदत हमारे अंदर ही नकारात्मकता को बढाती है , आप खुद देखेंगे की ऐसे लोग जिनमे ये आदत अधिक होती है वे अधिकतर असफल , संघर्षरत, स्वयं से असंतुष्ट और चिड़चिड़े से होते है। Click to visit my facebook page
आशा है आप मेरे विचार से सहमत होंगे , आप भी अपने विचारों को मुझ तक भेज सकते है , मेरा email address निचे दिया है , आपकी सहमति से मैं उन्हें अपने ब्लॉग और फेसबुक के माध्यम से लोगो तक पहुंचने का प्रयास करूँगा। Click to read other blogs
पंकज उपाध्याय
इंदौर
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Email :upadhyay.pankaj2@gmail.com