Wednesday, 1 June 2016

पंच महापुरुष योग




ज्योतिषीय ग्रंथों में वैसे तो ग्रहों से बनने वाले अनेको योगो का वर्णन मिलता है पर उन में से कुछ योग अत्यन्त ही महत्वपूर्ण है, ये योग  एक सुन्दर और सफल व्यक्तित्व का निर्माण करते है जो समाज के कल्याण में भी अपनी भूमिका निभाता है , चूँकि ये  पांच अलग अलग ग्रहों की केंद्र में होने से बनने वाले पांच योग हैं अतः  पँच महापुरुष योग कहा जाता है। Click here to read other Blogs
पँच महापुरुष योग में - रूचक, भद्र, हंस, मालव्य और शश योग आते हैं मंगल (Mars) से "रूचक" योग बनता है, बुध (Mercury) से "भद्र" , बृहस्पति (jupiter) से "हंस ",  शुक्र (venus) से "मालव्य " और शनि (saturn) से "शश" योग बनता है इन पांच योगो का किसी कुंडली में एक साथ बनना तो दुर्लभ है परन्तु यदि पँच महापुरुष योग में से कोई एक या एक से अधिक भी  कुंडली में बने तो एक खूबसूरत ऊर्जावान व्यक्तित्व का निर्माण करता है , हलाकि पौराणिक ज्योतिषीय ग्रंथो में इन्हे महापुरुष योग कहा गया है परन्तु अगर ये किसी स्त्री जातक की कुंडली में भी है तो उन्हें भी इसका पूर्ण फल प्राप्त होता है और वे अपनी ऊर्जा और प्रतिभा से समाज के उत्थान के लिए कोई विशेष कार्य करती है।
रूचक-योग - कुंडली में मंगल (mars) यदि स्वयं के स्वामित्व की राशि (मेष (Aries), वृश्चिक (Scorpio)) या उच्च राशि (मकर (Capricorn)) में होकर केंद्र  (1 , 4 , 7 , 10 ) भाव में बैठा हो तो इसे रूचक महापुरुष योग कहते हैं। यदि कुंडली में रूचक योग बना हो तो ऐसा व्यक्ति हिम्मतवाला (courageous) , शक्तिशाली (powerful), पराक्रमी,   निडर   (fearless) व्यक्ति और अत्यधिक ऊर्जावान होता है , जो अपनी ऊर्जा को सकारात्मक कार्य में लगाता है । प्रतिस्पर्द्धा और साहसी कार्यों में हमेशा आगे रहता है ऐसे साथ ही शत्रु भय से मुक्त रहता है ।

रूचक योग वालो  दृढ़ निश्चयिता रहता है और जो जिस बात को ठान ले उसे अवश्य पूरा करते  है। इस योग के बनने पर व्यक्ति स्वास्थ्य  उत्तम रहता है और प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है , अधिक आयु में भी  तरुण अवस्था का प्रतीत होती है। रूचक योग वाला व्यक्ति कर्मप्रधान और मेहनती होता है।

Saniya Mirza और Rahul Dravid इस योग के उदहारण है।
भद्र-योग -
यदि बुद्धिमत्ता का ग्रह बुध (mercury) स्वयं की या  उच्च राशि (मिथुन (gemini)  औार  कन्या (virgo)) में होकर केंद्र (1 ,4 ,7,10 ) भाव में बैठा हो तो इसे भद्र महापुरुष योग कहते हैं। जब  कुंडली में ये  योग निर्मित होता हो तो ऐसा व्यक्ति बहुत बुद्धिमान (intelligent), तर्कशील, दूरद्रष्टा और भाषण कला में निपुण होता है, बुद्धिमत्ता (intelligence)  से सम्बंधित सभी कार्यो में इनकी दक्षता रहती है जैसे वाकपटुता , लेखन ,तुरंत निर्णय लेना , हास्य विनोद करना या किसी भी प्रकार की रचनात्मकता (creativity) । भद्र योग वाला व्यक्ति बहुत व्यवहार कुशल होता है और किसी को भी अपनी तरफ आकर्षित करने में माहिर होते है।

आज के समय में ऐसे लोग बड़े मित्र वर्ग वाले और सबसे सतत संपर्क में रहने वाले होते है, इन्हे आधुनिक दूर संचार के संसाधनों (communication  gadgets ) का बहुत शौक होता है। Bill Gates के horoscope में ये योग है जिसने उन्हें IT के क्षेत्र का दिग्गज बनाया, इसके अलावा Lalbahadur Shastri और Dr Rajendra Prasad भी इसी योग के जन्मे महापुरुष है।

हंस-योग -
जब बृहस्पति (jupiter)  स्वयं की राशि या उच्च राशि (धनु (Sagittarius), मीन (Pisces), कर्क (Cancer)) में होकर केंद्र (1 ,4 ,7 ,10 ) भाव में बैठा हो तो इसे हंस महापुरुष  योग कहते है, इस योग के लोगो पर ईश्वर की विशेष कृपा होती है , ये लोग विवेकशील , सामाजिक प्रतिष्ठा वाले , ज्ञानार्जन के लोलुप और  सूझ-बूझ से युक्त होते  है,  ऐसे लोगो को समाज में विशेष मान सम्मान प्राप्त होता  है। इनका स्वभाव बड़ा संयमित और परिपक्व (matured)  होता  है, ऐसे व्यक्ति समस्याओं का समाधान बड़ी सरलता से ढूंढ लेते हैं और इनमे प्रबंधन अर्थात मैनेजमेंट की बहुत अच्छी कला छिपी होती है और ऐसे व्यक्ति बहुत अच्छे टीचर के गुण भी रखते हैं और अपने ज्ञान से बहुत नाम कमाते हैं।

jailalitha और madhuri dixit इस योग के जन्मे प्रतिभाशाली लोग है।
मालव्य-योग -
जब शुक्र स्व या उच्च राशि (वृषभ (Taurus), तुला (Libra), मीन (Pisces) ) में होकर केंद्र (1, 4, 7 , 10 ) भाव में बैठा हो तो इसे मालव्य महापुरुष योग कहते हैं यदि कुंडली में ये योग हो तो ऐसे व्यक्ति को लक्ष्मी की विशेष कृपा से धन ,संपत्ति , ऐश्वर्य और वैभव की प्राप्ति होती है भौतिक सुख- सुविधाएँ  प्राप्त होती हैं, ये सम्पत्तिवान और विशेष वाहनों का उपभोग करने वाले होते है , प्रायः इनका वैवाहिक जीवन सुखद होता है और स्त्री पक्ष से विशेष सहायता प्राप्त होती है । ऐसा व्यक्ति बहुत महत्वकांक्षी  होता है और हमेशा बड़ी योजनाओं के बारे में ही सोचता है। मालव्य  योग वाले व्यक्ति का व्यक्तित्व बहुत आकर्षक होता है, ऐसे व्यक्ति में बहुत से कलात्मक गुण होते हैं और रचनात्मक चीजों में उसकी बहुत रुचि होती है। मालव्य  योग वाले व्यक्ति को अच्छा संपत्ति और वाहन सुख प्राप्त होता है।Click here to read other Blogs

Pt. Jawaharlal Nehru इस योग के उदहारण है।
शश-योग -
जब शनि स्व या उच्च राशि (मकर Capricorn), कुम्भ, तुला) में होकर केंद्र (१,४,७,१०) भाव में हो तो इसे शश योग कहते हैं। यदि कुंडली में शश योग बना हो ऐसा व्यक्ति ऊँचे पदों पर कार्यरत होता है यह योग आजीविका की दृष्टि से बहुत शुभ होता है ऐसा व्यक्ति अपने कार्य क्षेत्र में बहुत उन्नति करता है, ये लोग बहुत गहरी सोच रखने वाले होते है , ऐसे व्यक्ति को आम जनता के बीच जबरदस्त प्रसिद्धि मिलती  है और जीवन में सभी सुखो को प्राप्त करता है, शनि के शुभ प्रभाव से सभी प्रकार की दुःख , तकलीफों और रुकावटों का नाश होता है , शश योग वाला व्यक्ति अनुशासन प्रिय होता है और अपने कर्तव्यों का पूरी तरह निर्वाह करता है।
विशेष :....पंच महापुरुष योग वहां अधिक शक्तिशाली होता है जहां इन योग पर पाप ग्रह का प्रभाव नहीं होता है। अगर इन योग में राहू केतु आदि ग्रह हो या इस योग का निर्माण करने वाला ग्रह नवमांश में नीच की स्थिति में हो तो  योग का शुभ प्रभाव समाप्त हो जाता है। अगर केंद्र में एक से अधिक शुभ पंच महापुरुष योग बनते हैं तो विशिष्ट राजयोग का निर्माण हो जाता है......Click here to read other Blogs

पंकज उपाध्याय
इंदौर
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