Thursday 22 July 2021

जुनून का ग्रह शुक्र


जुनून का ग्रह शुक्र

अगर कोई शुक्र के पर्यायवाची शब्द के बारे में पूछे तो एक ही शब्द निकल कर आता है जुनून, शुक्र जोश, जुनून और अग्नि का ग्रह कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी, कुंडली में जितना दूषित शुक्र उतना अधिक जोश देगा और जितना सुधरी स्थिति में रहे उतना आत्म नियंत्रण ।

जीवन में जितनी मुसीबतें होते है या यू कहे जितने लोग मुसीबतों और परेशानियों में फंसे दिखते है उसके पीछे मूल कारण निकल कर आएंगे वो दूषित शुक्र के परिणाम होंगे, अधिक से अधिक संपत्ति अर्जित करने की लालसा, विलासिता या सुख सुविधाओं के भोग की आकांक्षा और नंबर 1 पर  पहुंचने की दौड़ में सबसे आगे रहने का जोश, चाहे जोश की कमी।

शुक्र बीमारियां भी देता है, मधुमेह दूषित शुक्र का ही परिणाम होता है, इसके पीछे का कारण भी एक ही है, महत्वाकांक्षाओं और लालसा की प्राप्ति में शरीर का ध्यान नहीं देना और चिंता अधिक करना, शुक्र दूषित हो तो व्यक्ति अपने ही बारे में अधिक सोचता है वो उसे अपनो और समाज से काट देता है। दूषित शुक्र अर्थात शरीर की अग्नि कमजोर, जो पाचन को कमजोर कर व्याधियों को जन्म देती है।

गुरु की राशि मीन में आ कर शुक्र उच्च का होता है जो उसे संतुलित बनाता है, इसलिए जुनून संतुलित रहता है जो सुखी जीवन का कारण बनता है, जुनून बुरा नही परंतु उसकी दिशा परेशानी का कारण बनती है। मित्र बुध की राशि में आकर शुक्र नीच का होता है अर्थात युवा सुकुमार बुध उसकी लालसाओ का भड़काता है।

केतु जैसे ग्रह के साथ आ कर या कई परिस्थितियों में  शुक्र   अत्यंत कमजोर हो जाता है जो व्यक्ति को निस्तेज भी कर देता है व्यक्ति समाज और पारिवारिक जीवन से दूर भागता है।

शुक्र को वास्तु के दृष्टिकोण से  अग्नि तत्व का स्वामी कहा गया है क्योंकि जीवन चक्र को सुचारू चलाने के लिए अग्नि भी आवश्यक है और जोश भी , बस उसकी अधिकता पर नियंत्रण आवश्यक है।

*फॉरवर्ड अवश्य करे*

*इसी तरह की काम की बात प्राप्त करते रहने के लिए व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिए नीचे दिए गए नंबर अपर मेसेज देवे।*

पंकज उपाध्याय
9753000001